रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। अब नियम तोड़ते ही ई-चालान तुरंत जारी हो रहा है, जो एसएमएस और व्हाट्सएप पर भेजा जा रहा है। चालान में 7 दिनों के भीतर जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया जाता है। यदि समय पर भुगतान नहीं होता, तो 80 दिनों बाद मामला स्वतः कोर्ट में चला जाता है। एक वर्ष बाद भी जुर्माना न भरने पर कोर्ट से समन जारी होता है। यह हाईटेक प्रक्रिया ई-चालान को कोर्ट और आरटीओ से सीधे लिंक करती है, जिससे कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ती।

ई-चालान प्रक्रिया: ऑनलाइन भुगतान और स्वचालित प्रवर्तन
रायपुर ट्रैफिक पुलिस ने ई-चालान सिस्टम को पूरी तरह डिजिटल बना दिया है। चालान जारी होते ही यह रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर पहुंच जाता है। जुर्माना कैश में स्वीकार नहीं किया जाता; केवल ऑनलाइन, यूपीआई या कार्ड के माध्यम से भुगतान संभव है। भुगतान पर तत्काल रसीद या चालान डिजिटल रूप में उपलब्ध होता है। यदि 7 दिनों में भुगतान न हो, तो जुर्माना राशि पर ब्याज जुड़ जाता है। 80वें दिन मामला स्वतः कोर्ट में दर्ज हो जाता है, जहां 60 दिनों तक जमा न होने पर संबंधित थाने के कोर्ट में स्थानांतरित होता है। उसके बाद यह लोक अदालत पहुंचता है। लोक अदालत में भी अनदेखी करने पर कोर्ट सुनवाई करता है और समन जारी करता है।
ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह सिस्टम रायपुर को अतिक्रमण-मुक्त और ट्रैफिक अनुशासनित बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। 2025 से लागू नई ट्रैफिक फाइन लिस्ट के तहत स्पीडिंग, सिग्नल जंपिंग, बिना हेलमेट या बेल्ट चलाने पर 500 से 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगता है। ई-चालान के जरिए अब तक हजारों चालान जारी हो चुके हैं, जिनमें से 70% से अधिक समय पर जमा हो चुके हैं।
हाईकोर्ट नाम से फर्जी मैसेज: हजारों को हड़काया
ई-चालान की सख्ती के बीच एक नया विवाद सामने आया है। कई वाहन चालकों को ‘हाईकोर्ट’ के नाम से मैसेज आ रहे हैं, जिसमें न्यूनतम 1,000 रुपये का जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया जा रहा है। मैसेज में चेतावनी दी जाती है कि भुगतान न करने पर कोर्ट कार्रवाई होगी। इन्हें पाकर लोग घबरा रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। कुछ ने ट्रैफिक पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत की।
पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि ये मैसेज फर्जी हैं। तकनीकी खराबी के कारण कोर्ट के नाम पर मैसेज आ रहे हैं, लेकिन यह हाईकोर्ट से नहीं भेजे गए। असली ई-चालान आरटीओ या ट्रैफिक पुलिस के नाम से आते हैं। अधिकारियों ने सलाह दी कि ऐसे मैसेज आने पर भुगतान न करें। इसके बजाय ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ से संपर्क करें। सत्यापन के बाद ही भुगतान करें। पुलिस ने चेतावनी दी कि फर्जी चालानों के जरिए साइबर ठग सक्रिय हैं, जो लिंक क्लिक करवाकर बैंक डिटेल चुरा लेते हैं।
सिस्टम की विशेषताएं और सलाह
रायपुर का ई-चालान सिस्टम पूरी तरह एकीकृत है। चालान की स्थिति जांचने के लिए वाहन नंबर के साथ parivahan.gov.in या राज्य ट्रैफिक पोर्टल पर लॉगिन करें। भुगतान के विकल्प में नेट बैंकिंग, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और यूपीआई शामिल हैं। पुलिस ने कहा कि यह प्रक्रिया पारदर्शी है और भुगतान पर तुरंत रसीद मिलती है।
नागरिकों को सलाह दी जाती है:
– हमेशा वैध लिंक से चेक करें।
– फर्जी मैसेज में दिए लिंक पर क्लिक न करें।
– ट्रैफिक नियमों का पालन करें ताकि चालान न आए।
– यदि संदेह हो, तो नजदीकी ट्रैफिक थाने से संपर्क करें।
यह सिस्टम न केवल ट्रैफिक अनुशासन बढ़ा रहा है, बल्कि साइबर धोखाधड़ी से बचाव के लिए जागरूकता भी फैला रहा है। रायपुर पुलिस ने कहा कि फर्जी चालानों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।