मुंबई। इंडसइंड बैंक के अकाउंटिंग लैप्स मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की जांच ने नया मोड़ ले लिया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि उस समय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने बैंक की बुक्स में एडजस्टमेंट किए जाने की बात स्वीकार की है। यह मामला करीब 2000 करोड़ रुपये की अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है।

सूत्रों के मुताबिक, ईओडब्ल्यू ने पिछले हफ्ते बैंक के पूर्व सीएफओ गोबिंद जैन, पूर्व डिप्टी सीईओ अरुण खुराना और पूर्व सीईओ सुमंत कथपालिया के बयान दर्ज किए। खुराना को दोबारा समन भी भेजा गया है, क्योंकि माना जा रहा है कि वे उन बदलावों से भली-भांति परिचित थे जो बैंक की अकाउंटिंग बुक्स में किए गए थे।
जांच में आरोप है कि इन एडजस्टमेंट्स का असर बैंक के शेयर दामों पर पड़ा और कथित तौर पर कुछ अधिकारियों ने इनसाइडर ट्रेडिंग से भारी मुनाफा कमाया। हालांकि, कई पूर्व अधिकारियों ने किसी भी गड़बड़ी से इंकार किया है।
ईओडब्ल्यू की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि बैंक की बुक्स को दो अलग-अलग हेडर्स में एडजस्ट किया गया था। अब जांच एजेंसी वित्तीय विशेषज्ञों और कानूनी सलाहकारों की मदद से आगे की कार्रवाई तय करेगी। सूत्रों का कहना है कि यह मामला कई मायनों में सत्यम घोटाले जैसा है।
गौरतलब है कि इस घोटाले के उजागर होने के बाद अप्रैल 2025 में तत्कालीन सीईओ सुमंत कथपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ईओडब्ल्यू अब तक सात से आठ कर्मचारियों से पूछताछ कर चुकी है और जल्द ही शीर्ष अधिकारियों को फिर से बुलाने की संभावना है।
इस बीच, पूर्व सीएफओ गोबिंद जैन ने पीएमओ को लिखे पत्र में बैंक की ट्रेज़री ऑपरेशंस में लंबे समय से चल रही अनियमितताओं का भी जिक्र किया है, जिनकी राशि करीब 2000 करोड़ रुपये तक हो सकती है।