नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने नियमों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। संगठन आने वाले महीनों में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए वेतन सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रति माह करने पर विचार कर रहा है। यह प्रस्ताव जल्द ही ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा, जो दिसंबर या जनवरी में होने की संभावना है।
एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों को होगा लाभ
श्रम मंत्रालय के एक आंतरिक आकलन के अनुसार, वेतन सीमा में 10,000 रुपये प्रति माह की वृद्धि से एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा। श्रमिक संगठनों की लंबे समय से यह मांग रही है कि वर्तमान वेतन संरचना के अनुरूप ईपीएफ की सीमा बढ़ाई जाए, क्योंकि महानगरों में बड़ी संख्या में निम्न और मध्यम वर्गीय श्रमिकों का वेतन 15,000 रुपये से अधिक है। नई सीमा लागू होने पर ऐसे सभी कर्मचारी अनिवार्य रूप से ईपीएफओ की योजनाओं के दायरे में आ जाएंगे।
मौजूदा नियम और योगदान व्यवस्था
वर्तमान नियमों के तहत नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को कर्मचारी के वेतन का 12-12 प्रतिशत ईपीएफओ योजनाओं में जमा करना होता है। कर्मचारी का पूरा अंशदान ईपीएफ में जाता है, जबकि नियोक्ता का अंशदान ईपीएफ (3.67 प्रतिशत) और ईपीएस (8.33 प्रतिशत) में विभाजित किया जाता है। अधिकारियों का कहना है कि वेतन सीमा बढ़ने से ईपीएफ और ईपीएस कोष में बढ़ोतरी होगी, जिससे रिटायरमेंट के समय पेंशन और ब्याज अर्जन दोनों में सुधार होगा। फिलहाल ईपीएफओ का कुल कोष लगभग 26 लाख करोड़ रुपये है और सक्रिय सदस्यों की संख्या करीब 7.6 करोड़ है।
लॉन्गटर्म फाइनेंशियल सिक्योरिटी की दिशा में कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि ईपीएफ की वेतन सीमा बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का प्रस्ताव सामाजिक सुरक्षा कवरेज को व्यापक बनाने और वर्तमान आर्थिक स्तर के अनुरूप नियमों को अद्यतन करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे बड़ी संख्या में कामकाजी वर्ग को दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा और बेहतर रिटायरमेंट लाभ सुनिश्चित होंगे, जो मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।




