इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) में सामने आए रैगिंग प्रकरण ने तूल पकड़ लिया है। एंटी रैगिंग कमेटी की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सीनियर छात्रों ने फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स को सिर्फ धमकाया ही नहीं, बल्कि उन्हें फेक आईडी बनाने और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के लिए भी मजबूर किया।

जांच के अनुसार, नवप्रवेशित छात्रों पर दबाव डालकर दो-दो ट्विटर अकाउंट बनाने और सीनियर्स द्वारा भेजे गए सभी संदेशों को रीट्वीट करने की बाध्यता थी। निर्देश न मानने पर उन्हें बैच आउट करने की धमकी दी जाती थी। इतना ही नहीं, एक बैठक में छात्रों से उनके पर्सनल जीमेल के साथ फर्जी ईमेल और ट्विटर अकाउंट भी खुलवाए गए।
रिपोर्ट में सामने आया कि अमन पटेल के कहने पर प्रथम वर्ष के छात्र विवेक शर्मा से सभी संबंधित व्हाट्सएप मैसेज डिलीट कराए गए। साथ ही “सीनियर इंट्रोडक्शन” नाम का एक अलग ग्रुप बनाकर छात्रों पर निरंतर दबाव डाला गया। इस पूरे मामले में अमन पटेल, आदर्श मकवाना, आदित्य शर्मा, सुनील अहिरवार, नमन पांडे, यशश्वी मिश्रा और धवल चौधरी समेत कई सीनियर्स की भूमिका पाई गई है।
कमेटी की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि यह सिर्फ रैगिंग का मामला नहीं बल्कि संगठित रूप से की गई प्लानिंग है, जो विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन गई है।